shweta soni

Add To collaction

मेरी खामोशी

मेरा बोलना क्यूं ज़रूरी है तुम्हारे लिए , कभी तो मेरी खामोशियों को भी समझने का , हुनर तो रख । 


मेरी चुलबुलाहट और मेरी खुशी , क्यों जरूरी है तुम्हारे लिए । 
कभी तो मुझे धीर - गंभीर और शांत भी , रहने दिया कर । 

मेरे बोलने ना बोलने से , किसी को भी कहां फ़र्क पड़ता है । 
फिर मुझे भी तो तू कभी - कभी , चुप ही रहने दिया कर । 

मेरा बोलना जरूरी नहीं तुम्हारे लिए , अब से तू मुझे खामोश ही रहने दिया कर । 


   13
6 Comments

वाह जी वाह लाजवाब

Reply

Seema Priyadarshini sahay

13-Aug-2022 04:07 PM

बेहतरीन रचना

Reply

Raziya bano

13-Aug-2022 02:03 PM

अति सुन्दर

Reply