मेरी खामोशी
मेरा बोलना क्यूं ज़रूरी है तुम्हारे लिए , कभी तो मेरी खामोशियों को भी समझने का , हुनर तो रख ।
मेरी चुलबुलाहट और मेरी खुशी , क्यों जरूरी है तुम्हारे लिए ।
कभी तो मुझे धीर - गंभीर और शांत भी , रहने दिया कर ।
मेरे बोलने ना बोलने से , किसी को भी कहां फ़र्क पड़ता है ।
फिर मुझे भी तो तू कभी - कभी , चुप ही रहने दिया कर ।
मेरा बोलना जरूरी नहीं तुम्हारे लिए , अब से तू मुझे खामोश ही रहने दिया कर ।
Shashank मणि Yadava 'सनम'
13-Aug-2022 10:49 PM
वाह जी वाह लाजवाब
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Seema Priyadarshini sahay
13-Aug-2022 04:07 PM
बेहतरीन रचना
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Raziya bano
13-Aug-2022 02:03 PM
अति सुन्दर
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